अम्बिकापुर। 19 अक्टूबर। रिहन्द समाचार। आगामी दो-तीन माह में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के लिए मतदाता सूची का प्रारंभिक प्रकाशन कर दिया गया है परन्तु इसमें इतनी गड़बड़ी है कि लोग अपना नाम वार्ड की सूची में खोजने के लिए परेशान हो रहे हैं और कई वार्डों में तो लोगों का नाम ही नहीं मिल रहा है।
विदित हो कि 16 अक्टूबर को प्रकाशित की गई प्रारंभिक मतदाता सूची को विधानसभा चुनाव की मूल सूची के स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है परन्तु उक्त सूची में भी जो सबसे बड़ी खामी नजर आ रही है वह यह है कि विधानसभा चुनाव के समय जिन लोगांे ने अपना नाम यहां जुड़वाया था उनका नाम पूरी तरह से गायब कर दिया गया है अर्थात विधानसभा चुनाव के समय जोड़ी गई परिवर्धन सूची को इसमें प्रकाशित ही नहीं किया गया है। यह समस्या आधे से ज्यादा वार्डों में सामने आ रही है। इस कारण से कई ऐसे मतदाता जिनका नाम विधानसभा चुनाव की सूची में पहले था परन्तु अब नहीं है वे परेशान होकर अपना नाम जुड़वाने के लिए परेशान हैं।
इसके अलावा नगरीय निकाय 2019 की सूची में जिनका नाम जोड़ा गया था वे भी इस सूची से गायब है हालांकि तब आनन-फानन में कई ऐसे लोगों का नाम जुड़वाया गया था जो कि वार्ड में रहते भी नहीं थे कई वार्ड के नेताओं द्वारा अपने फायदे के लिए थोक में नाम जुड़वा दिया गया था इसी को देखकर इसबार शासन ने नये नाम जोड़ने से रोक दिया है परन्तु जो नाम पहले थे उनका सत्यापन 5 साल में भी नहीं कराया जा सका।
वहीं कुछ लोगों ने बताया कि उनका नाम पिछले निकाय चुनाव की सूची में था परन्तु विधानसभा चुनाव के समय नाम गायब हो गया और किसी कारण से नहीं जुड़ पाया इसपर उन्होंने लोकसभा चुनाव के समय नाम जुड़वाकर वोट दिया था लेकिन फिर से एक बार उनका नाम गायब है ऐेसे में विधानसभा चुनाव की सूची को ही मूल सूची मानने के कारण अब वे अपना नाम जुड़वा भी नहीं पा रहे हैं।
नाम ना जोड़ने के नियम के पक्ष और विपक्ष दोनों में कई तर्क दिये जा रहे हैं जहां ना जोड़ने को सही बताने वाले यह कह रहे हैं कि इससे भारी मात्रा में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाताओं को अपने लाभ के लिए निकाय में वोटर बनाया जाता है वहीं इस नियम का विरोध करने वालों का कहना है कि नाम छूट जाने पर सही मतदाता भी अपने मत का प्रयोग करने से वंचित रह जाता है।
कुल मिलाकर अभी मतदाता सूची की त्रुटियों को दूर करने के लिए प्रशासन के पास कई नयी तकनीकों के होते हुए भी नियमों के मकड़जाल के कारण पुरानी पद्धति को ही अपनाना मजबूरी है वहीं मतदाता सूची बनाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों में सही तरीके से वार्डों के बारे में जानकारी का अभाव और हवा हवाई सर्वे के कारण मतदाता सूची में कई खामियां रह गई हैं।
एक वार्ड के 500 मतदाताओं का नाम दूसरे वार्ड की सूची में हो गया दर्ज
वार्डों के परिसीमन के बाद भी कई वार्डों की सीमाओं के सबंध में कर्मचारियों को ही सही जानकारी नहीं होने के कारण कई विसंगतियां सामने आ रही हैं इनमें नगर के शीतला वार्ड का मामला पूरे नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है जहां विधानसभा चुनाव के समय बने बूथ क्रमांक 119 के मतदाताओं के लगभग आधी-आधी संख्या को परिसीमन में शीतला वार्ड क्रमांक 32 व नेहरू वार्ड क्रमांक 25 में बांट दिया गया है परन्तु जब मतदाता सूची का प्रकाशन हुआ तो नेहरू वार्ड के सभी वोटरों का नाम पुरानी सूची में ही छोड़ दिया गया जिससे लगभग 450 से 500 मतदाता बढ़ गए। अब निकाय चुनाव जहां एक-एक वोट महत्वपूर्ण है वहां 500 वोट तो पूरा समीकरण ही बिगाड़ सकते हैं अभी दोनों वार्डों के नेताओं द्वारा इसे लेकर संसोधन हेतु आवेदन देने तैयारी की जा रही है।