अम्बिकापुर। 01 जुलाई। प्रदेश में उपार्जित धान की राईस मिलरों द्वारा निकाली जा रही भूसी को राज्य से बाहर बेचने पर खाद्य विभाग द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के विरूद्ध बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है जिससे अब एक बार फिर से धान की भूसी की राज्य के बाहर बिक्री हो सकेगी।
विदित हो कि खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग नवा रायपुर के द्वारा पत्र जारी कर धान की भूसी के राज्य के बाहर विक्रय पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किया गया था जिसके आधार पर बलरामपुर कलेक्टर (खाद्य शाखा) द्वारा आदेश जारी कर बलरामपुर जिले के समस्त राईस मिलरों को राज्य के बाहर धान की भूसी का विक्रय करने पर रोक लगा दी गई थी बलरामपुर खाद्य शाखा द्वारा 17 मार्च को इस संबंध में आदेश जारी किया गया था।
इस आदेश के बाद से ही राईस मिलरों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा था क्योंकि राज्य से बाहर धान भूसी को प्रति टन 5000 रूपये की दर से खरीदा जा रहा था जबकि प्रतिबंध के बाद उसी धान भूसी को राज्य में औने-पौने दाम पर खरीदा जाने लगा था प्रतिबंध के कारण राईस मिलरों के पास यहां औने-पौने दाम पर धान भूसी को बेचने की मजबूरी थी साथ ही राज्य में इसकी खरीदी हेतु कोई समुचित व्यवस्था भी नहीं थी जिसकारण से कई राईस मिलर अपने यहां से धान भूसी कहीं भी नहीं बेच पा रहे थे जिससे हो रहे भारी नुकसान के कारण राईस मिलरों में इस सरकारी आदेश के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही थी।
इसी कारण सुधा राईस मिल के संचालक अम्बिकापुर खरसिया चौक निवासी राघवेन्द्र सिंह ने बलरामपुर कलेक्टर खाद्य शाखा के आदेश के विरूद्ध बिलासपुर उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता सुनील त्रिपाठी के माध्यम से याचिका लगाकर सरकारी आदेश को चुनौती दी थी तथा राज्य सरकार, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के संचालक, बलरामपुर कलेक्टर खाद्य शाखा व बलरामपुर जिले के खाद्य अधिकारी को प्रतिवादी बनाया था।
याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा धान भूसी खरीदी की कोई व्यवस्था नहीं करने तथा मानसून के मौसम में राईस मिल में पड़े भूसी के सड़ने का हवाला देकर राहत की मांग की थी। इसकी सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने न्यायालय से पक्ष रखने के लिए और समय की मांग की थी जिसपर न्यायालय ने सरकारी वकील ने पूछा कि आज की तारीख में कोई सरकारी एजेंसी भूसी की खरीदी करने के लिए तैयार हैं इसपर स्पष्ट जवाब नहीं मिलने पर तथा मानसून में राईस मिल में पड़ी भूसी के सड़ जाने की आशंका को सही मानते हुए न्यायालय ने आगामी सुनवाई तक सरकारी आदेश पर रोक लगा दी तथा चार सप्ताह बाद मामले की पुनः सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए राहत के बाद राईस मिलरों ने राहत की सांस ली है।
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