अम्बिकापुर। 17 जनवरी। जल संसाधन विभाग की संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक में संभाग में कार्य की गुणवत्ता को लेकर विभाग के सचिव ने चिंता जताई है। बैठक में यह बात सामने आई कि जब ठेकेदार संभावित लागत से 35 प्रतिशत तक कम में काम ले रहे हैं तो फिर काम की गुणवत्ता कैसे ठीक होगी वहीं नये साल से विभाग द्वारा नया एसओआर अर्थात कार्य का प्राक्कलन जिसमें विभिन्न कार्यों के लिए बढ़ा हुआ दर लागू किया जाना है उसे भी लेकर सवाल उठे।
विदित हो कि कल हुई बैठक में जल संसाधन विभाग के मंत्री केदार कश्यप द्वारा अधिकारियों को दो टूक कहा गया कि वे ठेकेदारों के लिए काम ना करें बल्कि ठेकेदारों से काम कराएं तथा कार्य की गुणवत्ता को लेकर सख्ती दिखाएं। इस दौरान विभाग के सचिव ने इस बात पर चिंता जताई कि सरगुजा संभाग के ठेकेदारों द्वारा राज्य में वर्तमान में प्रचलित एसओआर दर पर जारी होने वाले कामों को 30 से 35 प्रतिशत या उससे भी कम दर पर लिया जा रहा है ऐसे में नियमानुसार अंतर की राशि का एफडीआर भी ठेकेदारों को विभाग में जमा करना पड़ता है इसके बाद भी गुणवत्तापूर्ण कार्य कैसे संभव हो सकता है।
वहीं इस बात को लेकर भी बैठक में सवाल उठे कि जब ठेकेदार अभी प्रचलित एसओआर से 30-35 प्रतिशत कम पर काम लेने व करने को तैयार हैं तो फिर नये एसओआर की क्या आवश्यकता है? बैठक में मौजूद कुछ ठेकेदारों द्वारा यह बात भी उठाई गई कि कतिपय ठेकेदारों द्वारा अधिकारियों व कर्मचारियों से घालमेल कर विभाग में जमा की गई अंतर की राशि के एफडीआर को नियमों के विपरीत काम पूर्ण होने व विभाग को निर्माण कार्य हैंडओवर होने से पहले ही निकाल लिया जाता है वहीं कुछ ऐसे भी मामले हैं जिसमें ठेकेदारों द्वारा काम लेने के कुछ ही दिनों बाद एफडीआर को निकाल लिया जाता है।
अधिकारी-कर्मचारी ही बने हैं ठेकेदार
जल संसाधन विभाग में कुछ ऐसे अधिकारी व कर्मचारी भी हैं जिनके द्वारा अपने रिश्तेदारों के नाम पर ठेकेदारी भी कराई जा रही है इससे विभाग में निकलने वाले ठेकों की जानकारी रिश्तेदारों को पहले ही मिल जा रही है सूत्रों ने बताया कि विभाग के एक कर्मचारी के पुत्र द्वारा भी ठेकेदारी की जा रही है और हाल ही में उन्हें दो काम मिल भी गए हैं। अब ऐसे में मंत्री भले ही कितना भी कहें कि अधिकारी ठेकेदारों के लिए काम ना करें बल्कि उनसे काम कराऐं परन्तु जहां ठेकेदार ही रिश्तेदार है वहां ऐसा संभव भी कैसे होगा।
वर्षों से अटकी है पुनरीक्षण की फाईलें
विभाग द्वारा जहां एक ओर नये-नये कामों के लिए टेंडर जारी किया जा रहा है वहीं पुराने कार्यों की शेष राशि का भुगतान करने या कराने में अधिकारियों को कोई दिलचस्पी ही नहीं है प्रदेशभर में कई ऐसे ठेकेदार है जिनके द्वारा अनुमानित कार्य के आधार पर ठेका लेेकर काम प्रारंभ कराया गया परन्तु काम करने के दौरान कुछ अतिरिक्त खर्च हो गए जो कि ठेके की लागत से 5-10 प्रतिशत अधिक हैं जिसका नियमानुसार विशेष पुनरीक्षण करके भुगतान किया जाना होता है परन्तु अधिकारियों ने ऐसे मामलों की फाईलों को देखना ही छोड़ दिया है जिससे ऐसे मामलों का अंबार लगता जा रहा है और ठेकेदार परेशान है।
ठेकेदारों पर लटकी कार्यवाही की तलवार
कल की समीक्षा बैठक में यह बात भी सामने आई की कम दर पर काम लेने के बाद ठेकेदारों द्वारा काम को सरेंडर किया जा रहा है इसपर नाराजगी जताते हुए मंत्री द्वारा ठेकेदारों पर कार्यवाही के लिए निर्देश दिये गए जिसपर दो ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेट करने की बातें भी विभागीय सचिव द्वारा की गई है यदि विभाग सच में ठेकेदारों पर कार्यवाही कर देता है तो फिर काम पाने के लिए काफी कम दर पर टेंडर भरने के रिवाज पर भी कुछ लगाम लगने की संभावना है अन्यथा जबानी जमाखर्च पर यहां सब कुछ पुराने ढर्रे पर चलता रहेगा।