अम्बिकापुर। 27 दिसम्बर। नगरीय निकाय चुनाव के लिए परिसीमन के बाद वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण कार्य कुछ वार्डों में शायद किसी द्वेषवश किया ही नहीं गया। यहां वोटर लिस्ट के प्रारंभिक प्रकाशन के बाद वार्ड के लोगों द्वारा खुद मृत लोगों की सूची बनाकर उनका नाम जांच उपरांत हटाये जाने के लिए निवेदन किया गया था परन्तु मतदाता रजिस्ट्रीकरण अधिकारी अर्थात एसडीएम ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जिससे 15 से 20 वर्षों पूर्व गुजर चुके लोग अंतिम मतदाता सूची में आज भी जीवित हैं।
विदित हो कि एसडीएम को नगरीय निकाय की मतदाता सूची को अद्यतन करने व परिसीमन अनुरूप अंतिम मतदाता सूची बनाने के लिए मतदाता रजिस्ट्रीकरण अधिकारी बनाया गया था प्रशासन द्वारा जब प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन कर उसमें सुधार के लिए लोगों से दावा-आपत्ति मांगी गई तो वार्ड क्रमांक 18 की मतदाता सूची के दोनों भागों में दर्ज 15 से 20 वर्ष पूर्व से लेकर दावा आपत्ति की तिथी तक मृत हो चुके लोगों की सूची वार्ड का चुनाव लड़ने के इच्छुक व जागरूक निवासियों ने स्वयं मेहनत कर तैयार की और मृत हो चुके करीब 19 लोगों के नाम मतदाता सूची में होने पर आपत्ति करते हुए निर्धारित फार्म में सभी नामों को दर्ज कर मतदाता सूची से नामों को हटाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया।
नियमानुसार मतदाता रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को इन सूचियों के बारे में वार्ड के बीएलओ अथवा अन्य कर्मचारियों से जांच करानी चाहिए थी ताकि मतदाता सूची सुधर सके परन्तु कामचोरी की यहां अधिकारियों को ऐसी लत लग गई है कि केवल सरकारी गाड़ी में घूमने और उच्चाधिकारियों की चापलूसी में व्यस्त अधिकारियों ने इन सूचियों पर ध्यान ही नहीं दिया और ना तो इसकी कोई जांच हुई और ना ही किसी भी मृतक का नाम काटा गया। मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद ऐसा लग रहा है कि यहां पूरी प्रक्रिया केवल कुछेक वार्डों में वहां के नेताओं का चेहरा देखकर की गई कि कौन दमदार नेता है और अधिकारियों की खटिया खड़ी कर सकता है ऐसे ही वार्डों की मतदाता सूची पर थोड़ा बहुत ध्यान दिया गया बाकी के आवेदनों को शायद खोल कर देखने की भी जहमत यहां एसडीएम फागेश सिन्हा ने नहीं उठाई।
इस कामचोरी का खामियाजा अब मतदान के प्रतिशत पर पड़ना तय है एक तरफ तो निर्वाचन आयोग बार-बार अभियान चलाकर मतदान का प्रतिशत बढ़ाने पर जोर देता है परन्तु दूसरी तरफ ऐसे कामचोर अधिकारियों पर कोई कार्यवाही भी नहीं करता जो सारे दस्तावेज देने के बाद भी केवल कुर्सी तोड़ने में लगे रहते हैं और आवेदनों की जांच तक कराना जरूरी नहीं समझते हैं। इन कामचोर अधिकारियों की इन्हीं कारस्तानियों के कारण अब निकाय चुनाव के मतदान प्रतिशत पर भी असर पड़ेगा।
मतदान प्रतिशत पर पड़ेगा असर
वार्ड क्रमांक 18 में कुल करीब 1700 मतदाता हैं जिनमें से अगर 19 मतदाता ऐसे हैं जिनका निधन हो चुका है तो यह कुल मतदाताओं का करीब एक प्रतिशत हैं ऐसे में अब इन मतदाताओं का भूत तो वोट डालने आने से रहा और फोटोयुक्त मतदाता सूची होने के कारण फर्जी मतदान भी अब संभव नहीं है यानि कुल मतदान का एक प्रतिशत इसलिए नहीं होगा क्योंकि मतदाता ही जिंदा नहीं है यह केवल एक वार्ड का हाल है ऐसा ही हाल अगर निकाय क्षेत्र के अन्य वार्डों में होगा तो फिर पूरे निकाय क्षेत्र के मतदान का एक प्रतिशत कम आना तय है।
वोट बढ़ाने की जिम्मेदारी केवल मतदाताओं की है बाकि जिनकों मतदाता रजिस्ट्रीकरण अधिकारी बनाकर इसका काम सौंपा गया था वे केवल कुर्सी तोड़ने के लिए ही हैं अब अगर कोई व्यक्ति सारे दस्तावेजों के साथ आपत्ति दर्ज कराये और उसकी कोई जांच ही नहीं हो तो फिर इस पूरी प्रक्रिया का क्या औचित्य रह जाता है यह निर्वाचन आयोग ही तय करे कि फागेश सिन्हा पर इस संबंध में क्या कार्यवाही की जायेगी।