अम्बिकापुर। 01 जून। जिले के पर्यटन स्थल मैनपाठ में स्थित जलजली क्षेत्र जो कि अपने डोलते भूमि के लिए काफी प्रसिद्ध है उसपर अब पर्यटकों के कारण ही अस्तित्व का संकट गहराने लगा है यहां आने वाले पर्यटकों द्वारा की जा रही खुदाई से इस जगह का स्वरूप ही बिगड़ने लगा है।
विदित हो कि छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से प्रसिद्ध मैनपाट पर्यटन स्थल में वैसे तो दर्जनों ऐसी जगहें है जहां पर्यटक घूमने जाते हैं परन्तु कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जो कि काफी प्रसिद्ध है इनमें मैनपाट का जलजली क्षेत्र पर्यटकों के बीच आर्कषण का प्रमुख केन्द्र है क्योंकि यहां जमीन ठोस नहीं है जलजली मे करीब एक एकड़ से अधिक का एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर जमीन के उपर खड़े होकर कूदने से जमीन डोलती हुई प्रतीत होती है।
इसी प्रमुख कारण से यह क्षेत्र काफी चर्चा में रहता है भू वैज्ञानिकों के अनुसार यहां पर पहले तलछट या दलदल होगा जिसके उपर की मिट्टी सख्त हो चुकी है परन्तु भीतर अभी भी नमी है जिससे कि यहां भूमि इस प्रकार से डोलती प्रतीत होती है।
पर्यटकों के लिए प्रमुख आर्कषण के इस केन्द्र को अब नव धनाढ्य व अति जिज्ञासु पर्यटकों की नजर लग गई है पहले यहां कम पर्यटक आते थे जिससे मैनपाट की इन प्राकृतिक रहस्यों से कोई छेड़छाड़ नहीं होती थी परन्तु अब पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण ऐसे कई पर्यटक भी यहां आ रहे हैं जो इस प्राकृतिक चमत्कार का कारण जानने को बहुत उत्सुक रहते हैं और इसी उत्सुकता में कई बार यहां पर पर्यटकों द्वारा डोलती भूमि की खुदाई शुरू कर दी जाती है परन्तु लकड़ी या छोटी-मोटे लोहे के औजारों से भीतर तक खुदाई हो नहीं सकती ऐसे में पर्यटक केवल इस स्थान को नुकसान पहुंचाकर यहां से थक हारकर चले जाते हैं परन्तु इनके द्वारा की जा रही इसी खुदाई के कारण अब जलजली क्षेत्र से पानी का रिसाव शुरू हो गया है।
भीषण गर्मी में जब मैनपाट का पारा भी 41.2 डिग्री तक पहुंच चुका है तब जलजली के क्षेत्र में खुदाई से ढीली पड़ चुकी मिट्टी से लगातार पानी रिसना शुरू हो गया है ऐसे में अगर यहां आने वाले दिनों में भी पर्यटकों द्वारा इसी प्रकार से खुदाई जारी रखी गई तो वह दिन दूर नहीं जब जलजली क्षेत्र अपना प्राकृतिक स्वरूप खो देगी और फिर यह प्रकृति की अद्भुत धरोहर भूमि भी केवल मैनपाट का एक साधारण क्षेत्र बनकर रह जाएगा।
वन विभाग व प्रशासन को इस स्थान की सुरक्षा के लिए सख्ती करने की आवश्यकता है तथा यहां खुदाई करने वालों पर तगड़ा जुर्माना लगाना चाहिए। इसके लिए प्रवेश मार्ग व द्वार पर लोगों को पहले से ही चेतावनी देने वाला बोर्ड लगाना आवश्यक है जिससे लोग सचेत रहें व प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ करने वालों पर कार्यवाही भी आवश्यक है तभी मैनपाट के जलजली क्षेत्र का प्राकृतिक स्वरूप बचा रह पाएगा।
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