अम्बिकापुर। 01 जनवरी 2024। सरगुजा जिले से हजारों की संख्या में पेड़ों को नष्ट कर पर्यावरण तथा ग्रामीणों के जनजीवन से खिलवाड़ करने वाली अदानी कंपनी ने उदयपुर क्षेत्र में सेनेटरी पैड यूनिट लगाकर एक नयी विकास गाथा लिखने का दावा किया है। कंपनी के अनुसार उदयपुर विकासखंड में अदाणी फाउंडेशन के सहयोग से संचालित एक मात्र सैनेटरी पैड उत्पादन केंद्र क्षेत्र की किशोरियों और महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है मगर वास्तविकता मंे पूरे क्षेत्र के लिए अभिशाप बने अदानी माईनिंग कंपनी ने क्षेत्र की वो दुर्दशा कर दी है कि मात्र पेड़ ही नहीं पूरा क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक जड़ो से कट जा रहा है।
ज्ञात हो कि उदयपुर से लगे हसदेव अरण्य क्षेत्र में राजस्थान ताप विद्युत निगम के लिये अदानी कंपनी द्वारा नष्ट किये जा रहे जंगल से ग्रामीण काफी नाराज हैं। पिछले दिनों कलेक्टर के पास पहुंचे ग्रामीणों ने बताया था कि अब तक उनके क्षेत्र में 50 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं इससे वन उपज पर आश्रित उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है वहीं जंगली जानवरों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। इन सारी समस्याओं को दरकिनार कर कंपनी द्वारा मात्र एक छोटा सा सेनेटरी पैड यूनिट लगाकर उदयपुर क्षेत्र में विकास करने तथा ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने का ढोल पीटा जा रहा है। अब इस सेनेटरी पैड मशीन से कितनी ग्रामीण महिलाओं व किशोरियों का भला होगा और कितनी महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगीं ये तो कंपनी के अधिकारियों को ही पता होगा पर हजारों की संख्या मंे कट रहे पेड़ो पर तो कई गांव के लोग निर्भर थे इसपर कंपनी ने चुप्पी साध रखी है।
कंपनी द्वारा यह भी दावा किया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान सैनिटेरी पैड बनाने मे प्रशिक्षित महिलाओं के साथ मिलकर हजारों मास्क बनवाकर छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में उपलब्ध करवाये गये थे जिससे लोगों को राहत मिली थी। इनका यह दावा भी झूठ का पुलिंदा मात्र ही कहा जा सकता है क्योंकि कोरेाना काल में जिले में तो इनके द्वारा बनाये गये मास्क का कहीं पता नहीं चला। कंपनी के अनुसार सैनेटरी पैड के उत्पादन के लिये जो मशीन लगायी गयी है उसकी लागत मात्र सात लाख रूपये है। करोड़ो-अरबों के पेड़ काटकर तथा जंगली जानवरों का जीवन संकट में डालने वाली कंपनी द्वारा यहां जमीन से अरबों का कोयला भी निकाला जा रहा है ऐसे में पूरी नदी सूखाकर एक लोटा जल बहाने का महान कार्य करने वाली अदानी कंपनी और इसके कताधर्ता फाउंडेशन के नाम पर धूर्तता दिखाकर अपनी ही पीठ थपथपा रहे है।
प्राणदायी पेड़ों को काटकर उसके स्थान पर खनन उपरांत पेड़ लगाने के नाम पर भी यहां बंदरबांट ही किया जा रहा है पूरे उदयपुर क्षेत्र का दोहन कर वहां विकास के नाम पर झुनझुना पकड़ाकर उसका महिमा मंडन करने के लिए पत्रकारिता के नाम पर दलाली करने वालों को इंदौर की एक कंपनी के माध्यम से कभी छोटे-मोटे उपहार तो कभी नगद नारायण भी देकर उनका मुंह बंद करवाने वाली इस कंपनी को लेकर लोगों के मन मंे नाराजगी बढ़ती जा रही है जिसका विस्फोट कंपनी के लिए काफी घातक साबित होगा।